हिन्दू मान्यता के हिसाब से पितृपक्ष और नवरात्र दोनों ही बहुत महत्वपूर्ण होते हैं। पितृपक्ष में सभी लोग अपने पूर्वजों की आत्मा के लिए शांति की प्रार्थना करते हैं, और नवरात्रि में बहुत धूम- धाम से माता की पूजा- आराधना करते हैं। दोनों ही काम बहुत जरुरी हैं, एक स्वयं के लिए और एक अपने पूर्वजों के लिए। पितृपक्ष एक पक्ष से एक दिन ज्यादा अर्थात 16 दिन तक चलता है और इसके मध्य किसी भी प्रकार का शुभ काम करने से मना किया जाता है। ऐसा शायद पूर्वज नाराज ना हो जाएँ इसलिए किया जाता होगा। नवरात्र का 9 दिन का समय ही एक ऐसा समय होता है जब दिन मायने नहीं रखता है, इसमें पड़ने वाले सारे ही दिन शुभ मने जाते हैं। आप किसी भी दिन कोई भी शुभ काम कर सकते हैं, बिना पत्र देखे।
इस वर्ष ऐसा संयोग हुआ है जो पिछले 427 सालों में पहली बार हुआ है, इस बार पितृपक्ष 16 दिन की बजाय केवल 15 दिन की होगी। इस वजह से नवरात्रि का एक दिन बढ़ रहा है अर्थात नवरात्र इस बार 9 दिन की बजाय 10 दिन की होगी। इसका मतलब आपको एक दिन ज्यादा मिल रहा है माता की भक्ति करने का और उनसे मनचाहा फल प्राप्त करने का। इस तरह का संयोग 1589 में बना था और आने वाले 450 के बाद फिर से बनेगा।
ग्रहों और नक्षत्रों का ज्ञान रखने वाले विद्वानों के अनुसार पितृपक्ष से एक दिन कम होना और नवरात्रि का एक दिन बढ़ना बहुत ही शुभ संकेत की तरफ इशारा कर रहा है। व्यापारियों के लिए यह साल बहुत ही अच्छा साबित होने वाला है। जो लोग भगवान की मन लगाकर आराधना करते हैं उनके लिए भी यह समय बहुत अच्छा है, उनकी सभी इच्छाएँ इस साल पूरी हो जायेंगी। बस जरुरत है मन लगाकर सेवा करने की।
नवरात्रि आज से शुरु हो चुकी है और आने वाले 10 दिनों तक चलेगी, अर्थात से इस बार 1 अक्टूबर से 10 अक्टूबर तक नवरात्रि मनाई जाएगी। तृतीया दो दिन की होगी, मतलब 3-4 दो दिनों तक तृतीया होगी। 11 वें दिन दशहरा है और इसीके साथ यह पवित्र समय समाप्त होगा। इस बार ऐसा संयोग देखकर देश के सभी पंडित काफ़ी खुश हैं, सबको मेहनत और ईमानदारी से काम करने की सलाह दे रहे हैं। अब यह समय ही बताएगा कि किस- किस के लिए यह नवरात्रि ख़ुशी की खबर लेकर आती है।