नई दिल्ली: सर्जिकल स्ट्राइक्स के बाद सुरक्षा हलकों में जश्न का माहौल है। आतंकवादियों को उन्हीं की मांद में उनकी ही भाषा में जवाब दे दिया। पहली बार सेना ने आधिकारिक तौर पर ऐसी कार्रवाई की है. आइए समझते हैं कि इस हमले को सेना ने कैसे अंजाम दिया। surgical strikes Inside Story.
उरी में 18 निहत्थे भारतीय सैनिकों को मौत के घाट उतारने वालों को करारा जवाब मिल गया। जो भाषा पाकिस्तान समझता है वही भाषा उसको समझा दी गई। इस सैन्य ऑपरेशन की इनसाइड स्टोरी पता चली है। इस कहानी को सुन कर आपका सीना भी गर्व से चौड़ा हो जाएगा।
पहले कमांडोज को सुनसान जगह उतारा गया –
उरी में निहत्थे भारतीय सैनिकों को मौत के घाट उतारने वालों को करारा जवाब मिल गया। वक़्त था रात के साढ़े बारह बजे का। पुंछ से एएलएच ध्रुव पर 4 और 9 पैरा के 25 कमांडो सवार होकर पीओके में दाखिल हुए। नियंत्रण रेखा के पार हेलिकॉप्टर ने इन जवानों को जंगल में उतार दिया। पाकिस्तानी सेना की फायरिंग की आशंका के बीच इन कमांडोज़ ने तक़रीबन तीन किलोमीटर का फासला रेंग कर तय किया। देश में तबाही मचाने के लिये यहां आतंकियों के लॉन्च पैड्स भिम्बर, केल, तत्तापानी और लीपा इलाकों में स्थित थे।
PAK सेना को नहीं लगी खबर –
पाकिस्तानी सेना को भारत के इस कदम का कोई आभास नहीं हुआ। हमले से पहले आतंकियों के लॉन्चिंग पैड्स पर खुफिया एजेंसियां एक हफ्ते से नज़र रखे हुए थीं। रॉ और एमआई पूरी मुस्तैदी से आतंकवादियों की एक-एक हरकत पर नज़र रखे हुए थी। सेना ने हमला करने के लिये कुल छह लॉन्चिंग पैड का लक्ष्य रखा था, हमले के दौरान इनमें से सात लॉन्चिंग पैड को पूरी तरह तबाह कर दिया। कमांडोज़ तवोर और एम-4 जैसी राइफलों, ग्रेनेड्स और स्मोक ग्रेनेड्स से लैस थे। उनके पास अंडर बैरल ग्रेनेड लॉन्चिंग, नाइट विज़न डिवाइसेज़ और हेलमेट माउण्टेड कैमरे भी थे।
आतंकियों पर ग्रेनेड से हमला –
पलक झपकते ही कमांडोज़ ने आतंकियों पर ग्रेनेड से हमला किया। अफरा तफरी मचते ही स्मोक ग्रेनेड के साथ ताबड़तोड़ फायरिंग की। फिर क्या था, देखते ही देखते 38 आतंकवादियों को ढेर कर दिया गया। हमले में पाकिस्तानी सेना के दो जवान भी मारे गए। हमारे दो पैरा कमांडोज़ भी लैंड माइंस की चपेट में आने के कारण घायल हुए हैं।
चार घंटे चला ऑपरेशन –
रात साढ़े बारह बजे शुरू हुए इस ऑपरेशन को साढ़े चार बजे तक खत्म कर लिया गया। दिल्ली में इस ऑपरेशन की तैयारी सेना मुख्यालय में रात आठ बजे से ही हो गई थी। राजधानी में बुधवार शाम कोस्टगार्ड कमांडर कॉफ्रेंस का डिनर रखा गया था। जिसमें रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर, एनएसए अजित डोभाल और सेना प्रमुख जनरल दलबीर सिंह सुहाग को जाना था। इस डिनर में जाने की बजाय यह तीनों रात आठ बजे सीधे सेना मुख्यालय में मौजूद वॉर रूम में पहुंच गए. सेना प्रमुख दलबीर सुहाग ने इस ऑपरेशन की तारीफ करते हुए कहा है कि सेना ने अपने कहे का पालन किया है और चुनी हुई जगह और समय पर इसका जवाब दिया है।
रक्षा मंत्री और NSA ने की ऑपरेशन की मॉनिटरिंग –
पूरे ऑपरेशन के दौरान रात में रक्षा मंत्री मनोहर परिकर, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल, और सेना प्रमुख जनरल दलबीर सिंह सुहाग ऑपरेशन की निगरानी करते रहे। इस दौरान ऑपरेशन की जानकारी लगातार प्रधानमंत्री मोदी को भी दी जा रही थी। अजित डोभाल ने रात ही में अपनी अमेरिकी समकक्ष सूसन राइस से भी बातचीत कर उनको भरोसे में लिया।
रक्षा मंत्री मनोहर परिकर ने भी सेना को बधाई दी है। उन्होंने कहा कि सेना के पास आतंकवादियों की मौजूदगी की पुख़्ता जानकारी थी और हमने उन्हीं लॉन्चिंग पैड पर सर्जिकल हमला किया।